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कहते है एक स्त्री कल्पनातीत होती है । जन्म से लेकर वृद्धावस्था तक उसकी जींदगी का सफर एक अबूझ पहेली की तरह गुजरता है । एक स्त्री के संपूर्ण जीवन मे कई ऐसे मानवीय स्वभाव के दर्शन होते है जिसे देख हम असमंजस की स्थिति मे पड़ जाते है और वह एक अबूझ पहेली बनकर रह जाती है। एक स्त्री संपूर्ण क्रिया कलापों को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि ईश्वर ने उसे मानव जाति के कल्याण के उद्देश्य से ही बनाया है । मानो यह संसार एक स्त्री के इर्द गिर्द ही घुम रहा हो। वह इस संसार की केन्द्र बिंदू हो। इस किताब मे ऐसी ही आधुनिक समाज की एक काल्पनिक स्त्री का चरित्र चित्रण किया गया है , उसकी अदृभूत प्रकृति पर प्रकाश डालने की कोशीश की है। इस किताब मे आपको स्त्री के एक नए रुप का दर्शन के और हम सबके के लिए प्रेरणा दायी भी साबित |गी। । २
धन्यवाद ।
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