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समाज से जुङे हुए प्रत्येक सामानजक व्यखि एवं छात्र जीवन मे संघनषुत प्रत्येक के समि इस पुस्तक को समनपुत करते हुए मुझे अपार हषु हो रहा है। य़ह पुस्तक हर उस व्यखि एवं अभ्याथी से जुङी हुई है जो सफलता की दौङ मे जीवन को कही पीछे छोङ जीवन की ही तलाश मे बेतहाशा दौङ रहे है। यह पुस्तक छात्र जीवन एवं हर प्रकार के सामानजक पहलू से जुङी है नजसमे जीवन की चुनौनतयााँ एवं समाधान की एक पैमाइश का वणुन है । ग्रामीण एवं शहरी समाज की वह प्रष्ठभूनम जो व्यखि को तमाम सपने देिने को प्रेररत करती है उनकी कल्पनाओ मे रंग भरती है, के प्रत्येक छण को छूने का प्रयत्न मेरे द्वारा इस पुस्तक मे नकया गया है । “सपने और हम” पुस्तक मे न केवल मेरे सपने हैं बखि मुझे लगता है नक ये हर उस सहपाठी के सपने रहे है और होगें जो सपनो को या तो जी चुके है या उन्हे साकार करने की प्रनतस्पधाु मे अन्धाधुन्ध लगे हुए हैं। लेि मे जीवन के हर उस पहलू का वणुन नकया गया है जो मैने समझा है । परन्तु नफर भी पाठको एवं सहपानठयों के रचनात्मक या वैचाररक सुझावो का मै स्वागत करूूँगा।
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