पुस्तक में सरल भाषा का प्रयोग किया गया है और प्रतिदिन के उदाहरणों को लेकर विषय सामग्री को काफी रोचक बनाया गया है।
जनम के समय बालक समाज में समाज का एक हिस्सा बन जाता है, लेकिन अगर जाति की बात की जाए तो जातीयता के आधार पर भी समाज बटा हुआ है।
कुछ स्त्रियां बड़े घर की हैं और बहुत सी स्त्रियां ऐसी हैं जो कारखाने में काम करती हैं। भारतीय समाज में स्त्रियों की विदा अनन्य है और सभी स्त्रियों को एक ही तराजू में तोलना ठीक नहीं है।
हमारा यह भी सोचना है कि जब हम समाज में स्त्रियों की परिस्थिति के बारे में बात करें तो इनकी विविधता को भी समझें ।
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